प्रो प्रेम कुमार धूमल… एक नाम नहीं,भाजपा के खाते में एक नए आयाम रहे हैं । जब भाजपा की बागडोर थामने से शांता कुमार ने ना-नुकर कर रहे थे,तब आज के भाजपा सुप्रीमों नरेंद्र मोदी को इन्ही धूमल में हिमाचल भाजपा के भविष्य की चमक नजर आई थी ।
इस मर्तबा धूमल साहब चुनाव हारे तो जरूर,मगर भाजपा को जितवा गए । यह कहने की वजह है । जब तक धूमल का नाम बतौर भावी सीएम डिक्लेयर नहीं किया गया था,तब तक भाजपा का रास्ता भी क्लियर नहीं था । उस दौर में वो हाईकमान भी हांफ़ा हुआ था,जो पूरे हिन्दोस्तान को दौड़ा रहा था । अमित शाह ने धूमल के नाम का ऐलान सिरमौर से किया तब जाकर भरमौर तक भाजपा का परचम लहराया । धूमल चुनाव हार गए और भाजपा जीत गई ।
“हाई-हैडिड” हाईकमान ने अपने इस ‘पॉलिटिकली अनसंग हीरो’ की हार को भी यह कह कर दरकिनार कर दिया कि अब भाजपा पीढ़ी परिवर्तन करेगी । पर यह सवाल बिना जवाब के ही छोड़ दिया कि जिस पीढ़ी ने हाईकमान के कहने पर अपनी बलि दे दी,उसको क्या दिया गया ? हाईकमान के कहने पर धूमल ने नया चुनाव क्षेत्र चुन लिया,उनसे किस बात के अभी तक चुन-चुन कर बदले लिए जा रहे हैं ? पीढ़ी परिवर्तन की आड़ में हाईकमान ने अपने मनसूबे तो पूरे कर लिए,पर भाजपा के सत्ता हासिल करने के मनसूबों को कामयाब करने वाले नेता को क्या सिला दिया ?
बीते एक साल से धूमल बिल्कुल चुप हैं । लाख खँगालो, वह चुप ही रहते हैं । किसी सवाल का विस्तृत जवाब तो दूर की बात,हाँ-न भी नहीं करते । अब प्रो साहब की यही चुप्पी जनता के बीच मे शोर उठने की वजह बन गई है । चर्चाएं आम हो गईं हैं कि धूमल की धमक की गैर मौजूदगी कहीं भाजपा में ही सन्नाटा न पसरा दे ?
इसकी वजह एक नहीं बल्कि अनेक हैं । दरअसल,धूमल की मौजूदा चुप्पी भले ही भाजपा के एक केम्प को रास आ रही हो,मगर पूरे हिमाचल में भाजपा का भला करती नजर नहीं आ रही । बहुत बड़ा सामाजिक कुनबा यह मान रहा है कि धूमल की सत्ता से विदाई भले ही चन्द अपनों के द्वारा “तय” की गई होगी,मगर इस ठाकुर को जिस तरह से “ठुकराया” गया है,उसकी बदौलत भाजपा को कहीं लोकसभा चुनावों में “ठोकर” न लग जाए ।
वजह गिनवाते हुए आम लोग कहते हैं कि प्रदेश में बीते विधानसभा चुनावों में भाजपा की जीत और पीढ़ी परिवर्तन के इतने चर्चे नहीं थे, जितने धूमल की हार के रहे थे । मतलब बताते हुए आम लोग कह रहे हैं कि अभी अगर मोदी देश मे भाजपा का चेहरा हैं तो धूमल हिमाचल भाजपा की अभी तक फेस और ब्रैंड वेल्यू हैं । धूमल सत्ता से बाहर जरूर हुए हैं मगर आम आदमी के मन से नहीं । ऐसे में धूमल की चुप्पी कहीं भाजपा की बोलती भी बंद न करवा दे ? अभी फिलवक्त आलम तो यह है कि धूमल कुछ बोल नहीं रहे और आम आदमी बोलने से कोई परहेज नही कर रहा ।
दैनिक भास्कर के वरिष्ठ पत्रकार अरविंद शर्मा की सपुत्री के शुभ विवाह के मौके पर प्रो धूमल से लम्बे अरसे के बाद मुलाकात हुई । धूमल समाजिक मुद्दों पर तो खुल कर बोले,मगर सियासी सवालों पर खामोशी का दामन नहीं छोड़ा । किसी भी शादी में घर-घर की लकड़ी (लोग) पहुंची होती है । धूमल की चुप्पी व हाव-भाव हर किसी को कचोटती हुई साफ़ नजर आई । करीबन एक घण्टा जनता के बीच बैठकर धूमल तो अपने रास्ते निकल गए,मगर बाद में जनता ने जो प्रतिक्रियाएं दीं, वह भाजपा को दोराहा तो दूर की बात, सियासत के चौराहे पर ही खड़ी करती नजर आईं…