मुकेश-सुक्खू लड़ेंगे हमीरपुर में सांझा चुनाव
– चुनाव आयोग ने बदले नियम,राणा टब्बर खज्जल
कांग्रेस हाईकमान ने हमीरपुर संसदीय क्षेत्र से मुकेश अग्निहोत्री और सुखविंदर सिंह सुक्खू को सांझी कांग्रेस की टिकट दे दी है । यह ऐतिहासिक फैसला कांग्रेस ने केंद्रीय चुनाव आयोग के साथ अपने घनिष्ठ संबंधो के चलते लिया है । हालांकि यह बड़ा उल्टफेर होना असम्भव था, मगर आयोग ने बड़ी ही चालाकी से मोदी-शाह को मनाते हुए यह कांड कर डाला ।
सिलसिलेवार बताएं तो, कांग्रेस हाईकमान सुक्खू और अग्निहोत्री के प्रेम को देखते हुए खुद को बड़ा असमंजस में महसूस कर रहा था । सुक्खू इस बात पर अड़े हुए थे कि मुकेश मजबूत नेता हैं तो वह चुनाव लड़ेंगे और मुकेश इस बात पर अडिग खड़े थे कि सुक्खू को यह सुख दिया जाए । इनके इस प्रेम को देखते हुए हाईकमान ने यह तय किया कि दोनों को ही सांझी टिकट दे दी जाए ।
तकनीकी समस्या को देखते हुए प्रपोजल फाइल चुनाव आयोग को भेजी गई । जवाब आया कि हम चाह कर भी ऐसा नहीं कर सकते । मसला गम्भीर हुआ तो दिग्विजय सिंह को जिम्मेदारी दी गई । दिग्गी अंकल ने आयोग को एक आइडिया दिया । समझाया कि आप अमित शाह को कहो कि वह भी मोदी के साथ वाराणसी से सांझा चुनाव लड़ो । कब तक मोदी जी की झोली उठाकर शाह साब चलते रहेंगे ? शाह साहब को समझाओ कि अढाई-अढाई साल के लिए दोनों प्रधानमंत्री बनो आप भी । आयोग ने चुपचाप इसकी खबर शाह को भेजी । शाह एकदम से मान गए और बोले कि अगर आयोग संशोधन कर देता है तो अमरीका का इलेक्शन कमिश्नर भारत से बना कर भेजा जाएगा । यह सुनते ही आयोग ने नए बिना संसद सत्र के संशोधन कर दिया । अब इसी आधार पर सुक्खू-मुकेश हिमाचल तो शाह-मोदी वाराणसी से सांझे चुनाव लड़ेंगे ।
इन दोनों के चुनाव लड़ने के ऐलान के बाद राणा टब्बर का हाल खराब हो गया है । राजिंदर राणा ने तो मुकेश अग्निहोत्री को यहां तक उलाहना दे दिया है कि,पण्डित जी आप मंत्र तो मेरे बेटे अभिषेक के लिए पढ़ते रहे, और फल खुद गटक गए । चेतावनी भी दे दी कि मैं भी चंगर इलाके का रंगड़ रज्जपूत हूं ।
दरअसल,बताया जा रहा है कि जैसे ही धूमल साहब को इस अनोखे फैसले का पता लगा तो उन्होंने राणा को फोन करके समझाया कि,अपणे ही अपणे होते हैं,बाकी सारे सपने होते हैं । घर वापसी करो और अपने भतीजे अनुराग को कामयाब करो । राणा के दिल को यही बात छू गई और उन्होंने सियासी छुआछूत के आरोप कांग्रेस पर जड़ दिए । वीरभद्र सिंह को भी उलाहना देते हुए पंजाबी का यह गीत सुना कर फोन काट दिया कि,”राज्ज़ा साहब,कित्थे कल्ले बै के सोच्यो,राणे ने की नही कित्ता सी तवाडे लई…”
फार्मूला नेता विपक्ष पर भी लागू होगा
चुनाव जीतने की स्थिति में पहले अढाई साल की सांसदी मुकेश के पास रहेगी तो नेता विपक्ष का रुतबा सुक्खू को मिलेगा । लास्ट वाले अढ़ाई साल में मुकेश फिर से नेता विपक्ष होंगे तो सुक्खू सांसद । सियासी अनपढ़ कह रहे हैं कि यहां भी मुकेश ने चाल चली है । अंतिम अढ़ाई सालों बाद जब चुनाव होंगे,तब मुकेश विधानसभा में ही होंगे और कद भी अभी की तरह मजबूत होगा । सुक्खू के लिए सुख कम लगता है,क्योंकि नादौन की सीट हमेशा विपक्ष में ही रहती है । सरकार जिस पार्टी की होती है, नादौन का विधायक उस पार्टी का नहीं होता ।