भगवां दुर्ग यानी कांगड़ा लोकसभा क्षेत्र में भाजपा का पॉलिटिकल एस्टीमेट गड़बड़ हो गया है। शांता कुमार का पहले चुनाव लडऩे के लिए न-न का राग, फिर हाईकमान के आदेश के मुताबिक हुक्म का अलाप, अब भाजपा के झ्ंडे पर सिलवटों की वजह बन गया है। दरअसल, अभी हिमाचल भाजपा की लीडरशिप का माइंड सेट यह तो तय मान रहा है कि बकाया तीन लोकसभा क्षेत्रों में लगभग पुराने चेहरे ही रहेंगे। पर कांगड़ा का नाम आते ही अगर-मगर का सियासी क्लेश शुरू हो जा रहा है।
इसकी वजह भी शांता के पार्टी में वजन की तरह ही खूब भारी-भरकम है। हाईकमान के पास हिमाचल की सिर्फ चार सीटों के लिए वक्त नहीं है और हिमाचल के किसी भाजपाई लीडर के पास इतना दम नहीं है कि वह शांता से उनकी रज़ा जानने की हिम्मत कर सके। ऐसे में ऊहापोह की स्थिति बनी हुई है। भाजपा यह तय नही कर पा रही है कि क्या इस किले को शांता कुमार के नाम से ही दोबारा रेनोवेट करे या फिर किसी नए चेहरे को सामने लाकर कोई इनोवेटिव काम करे? पार्टी इस उलझन में फंसी हुई है कि अगर शांता हाईकमान की पसंद न हुए तो दूसरा उम्मीदवार कौन होगा? क्या कोई ऐसा होगा जिस पर हाईकमान का हाथ होगा? या फिर कोई ऐसा होगा
जिसके सिर पर शांता कुमार का हाथ होगा? भाजपा काडर में शांता के खिलाफ पहली दफा हो रही साजिशों और हरकतों को देख कर हिमाचल भाजपा भी परेशान है। वजह यह है कि बीते पांच साल से शांता कुमार पर निष्क्रियता के आरोपों के चलते सियासी बरकतें भी खत्म न हो जाएं। भाजपा की हालत मौजूदा वक्त में ठीक उस तड़पती हुई मछली की तरह है जो समंदर के किनारे रेत पर सांस लेने के लिए हवा में उछलती तो है, मगर साथ में हिलोरे ले रहे अथाह जल तक नहीं पहुंच पाती।
शांता कुमार के रागों-आलापों की वजह से पार्टी को कोई बीच का रास्ता भी नजर नहीं आ रहा है । सूत्र इसकी वजह गिनवाते हुए कहते हैं कि साल 2014 का लोकसभा चुनाव शांता कुमार ने खुले तौर पर अपना अंतिम चुनाव कह कर लड़ा था। वह भी तब जब मोदी की प्रचंड लहर थी। इस मर्तबा तो लहर भी कोई कहर की तरह बरपने वाली नहीं लग रही है। भाजपा को बड़ी चिंता तो यह सता रही है कि अगर शांता कुमार का नाम हटा तो नए नाम की फेस वेल्यू बनाने में भी वक्त लगेगा। अगर शांता ही उम्मीदवार हुए तो भी जी-तोड़ मेहनत करनी होगी।
सूत्र कहते हैं कि अगर शांता के नाम का वजन वाला पॉजिटिव जुड़ा होगा तो, यह भी हकीकत है कि इनके साथ विकास का वजूद भी नैगिटिव तौर पर बराबर का है। चंबा जिला में सीकरीधार के सीमेंट प्लांट की वजह से शांता का रास्ता इस बार सीमेंटेड की बजाए भाजपा नेताओं को ही कच्चा-पक्का नजर आ रहा है।
कांगड़ा तो वैसे भी सियासी बेइमानियों के लिए मशहूर रहा है। चाहे वह विधानसभा चुनाव हों या लोकसभा। इन परिस्थितियों में एक बेहतरीन सियासी माहिर ने भाजपा की स्थिति कुछ इस तरह से स्पष्ट की। उन्होंने कहा कि जिन नेता जी की वजह से भाजपा प्रदेश में खड़ी हुई थी, उनकी ही वजह से लडख़ड़ा रही है…
Empower Independent Journalism – Join Us Today!
Dear Reader,
We’re committed to unbiased, in-depth journalism that uncovers truth and gives voice to the unheard. To sustain our mission, we need your help. Your contribution, no matter the size, fuels our research, reporting, and impact.
Stand with us in preserving independent journalism’s integrity and transparency. Support free press, diverse perspectives, and informed democracy.
Click [here] to join and be part of this vital endeavor.
Thank you for valuing independent journalism.
Warmly,
Vishal Sarin, Editor